भूल गया है क्यों इन्सान : डा० हरिवंश राय बच्चन

भूल गया है क्यों इन्सान : डा० हरिवंश राय बच्चन


प्रस्तावना: 

_ 'भूल गया है क्यों इन्सान' 'बच्चन' जी की प्रशिद्ध कविता है। प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने आपसी प्रेम एवं मानवता के गुणों को उजागर किया है। कवि बच्चन जी कहना चाहते हैं कि मनुष्य मनुष्यता ही भूल गया। सब पर भौतिक एवं लौकिक कृपा समान है फिर भी इन्सान इन्सानियत भूल गया है। देश भले ही अलग अलग हो लेकिन मनुष्य के अन्तर प्राण एक है, फिर भी मानव मानवता के गुणों को भूल गया हैं। मानव में प्रेम दया, क्षमा जैसे गुणों के बजाय ईर्ष्या, द्वेष, छल, कपट, षड्यंत्र जैसे अवगुण बढ़ रहे है जिससे मानवता का विनाश हो रहा है। 

 भूल गया है क्यों इन्सान

डा० हरिवंश राय बच्चन 

भूल गया है क्यों इन्सान।

सबकी है मिट्टी की काया

सब पर नभ की निर्मल छाया

यहाँ नहीं कोई आया है ले विशेष वरदान। 

 

भूल गया है क्यों इन्सान।

धरती ने मानव उपजाए,

मानव ने ही देश बनाए

बहु देशों में बसी हुई है, एक धरा संतान। 

 

भूल गया है क्यों इन्सान।

देश अलग हैं, देश अलग हो,

मानव का मानव से लेकिन,

अलग न अंतर प्राण भूल गया है क्यों इन्सान। 


शब्दार्थ : काया = शरीर। बहु = अनेक। धरा = संतान, पृथ्वी की संतान। अंतर = प्राण, हृदय। 

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