कहानी - 1

'कहानी’ 


  • 'कहानीका प्राचीन नाम संस्कृत में गल्पया आख्यायिकामिलता है। आधुनिक हिन्दी कविता का जन्म वर्तमान युग की आवश्यकताओं के कारण हुआ। कहानी को पश्चिम में शार्ट स्टोरीकहा जाता हैं। पाश्चात्य साहित्य में कहानी-कला का उद्भव सर्वप्रथम अमेरिका में एडलर एलन पो (1809-49 .) द्वारा हुआ।
  • उन्होंने कहानी की परिभाषा देते हुए कहा है कि ’’छोटी कहानी एक ऐसा आख्यान है, जो इतना छोटा है कि एक बैठक में पढ़ा जा सके और जो पाठक पर एक ही प्रभाव उत्पन्न करने के उद्देश्य से लिखा गया हो।

  • मुंशी प्रेमचन्द कहानी पर विचार करते हुए कहते हैं कि ’’कहानी (गल्प) एक रचना है, जिसमें जीवन के किसी एक अंग या मनोविज्ञान को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य रहता है। उसके चरित्र, उसकी शैली तथा कथा-विन्यास सब उसी एक भाव को पुष्ट करते है।’’
  • हिन्दी कहानी का उद्भव द्विवेदी युग में सरस्वती पत्रिका (1900 .) के प्रकाशन से प्रारम्भ होता है।


हिन्दी की प्रथम कहानी और प्रणेता:-

प्रणेता कहानी वर्ष लेखक
रामचंद्र शुक्ल इंदुमती 1900 किशोरीलाल गोस्वामी
डाॅ. बच्चन सिंह प्रणयिनी परिणय 1887 किशोरीलाल गोस्वामी
देवी प्रसाद वर्मा एक टोकरी भर मिट्टी 1901 माधवराव सप्रे
डाॅ. लक्ष्मीनारायण लाल ग्यारह वर्ष का समय 1903 आचार्य रामचंद्र शुक्ल

विद्वानों ने इंदुमतीको शिक्सपीयर के टेम्पेस्टकी छायानुवाद कहकर उसे मौलिक कहानी के दायरे से बाहर कर दिया।

आचार्य शुक्ल ने लिखा है

’’इंदुमती किसी बंग्ला कहानी की छाया नहीं है तो हिन्दी की यही मौलिक कहानी ठहरती है। इसके उपरान्त ग्यारह वर्ष का समयफिर दुलाईवालीका नंबर आता है।

राजेन्द्र बाला घोष बंग महिलाको हिन्दी की प्रथम कहानी लेखिका माना जाता है। दुलाईवालीउनकी प्रमुख कहानी है।

बंग महिला की प्रमुख कहानियाँ

  • चंद्रदेव से मेरी बातें (1904)
  • कुंभ में छोटी बहू (1906)
  • दुलाई वाली (1907)
  • दलिया (1909 .)

सरस्वती
पत्रिका में प्रकाशित प्रमुख कहानिया :-   
  
  • इन्दुमती  1900 .    किशोरीलाल गोस्वामी
  • प्लेग की चुङैल  1902 .  लाला भगवानदीन
  • ग्यारह वर्ष का समय  1903 .  आचार्य रामचंद्र शुक्ल
  • एक के दो दो  1906 .  लाला पार्वती नंदन
  • दुलाई वाली 1907 .  बंग महिला
  • राखी बंध भाई  1909 वृंदावनलाल वर्मा
  • रक्षाबंधन  – विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक
  • सौत  1915 प्रेमचंद
  • पंच परमेश्वर 1916 प्रेमचंद
  • उसने कहा था1915 चंदधर शर्मा गुलेरी

हिन्दी कहानी के समूचे विकास-क्रम को निम्नलिखित शीर्षकों में विभाजित किया जा सकता हैं :-

(1) प्रेमचंद पूर्व हिन्दी कहानी

(2) प्रेमचंदयुगीन हिन्दी कहानी

(3) प्रेमचंदोत्तर हिन्दी कहानी

(4) समकालीन हिन्दी कहानी

विभिन्न विद्वानों के अनुसार हिंदी की प्रथम कहानी:-

  • नगेन्द्र के  अनुसार   = सौत
  • गणपतिचंद्र गुप्त के अनुसार  = पंच परमेश्वर
  • रामचंद्र शुक्ल ने किशोरी लाल गोस्वामी की इंदुमती(1900) को पहली कहानी मानी है 
  • बच्चन सिंह ने किशोरी लाल गोस्वामी की प्रणयिनी परिणय(1887) को पहली कहानी मानी है
  • राजेंद्र बडवालिया ने रेवरेंड जे न्यूटन की जमीदार का दृष्टांत(1871) को पहली कहानी मानी है
  • देवी प्रसाद वर्मा ने माधवराव सप्रे की एक टोकरी भर मिट्टी (1901) को पहली कहानी मानी है।

प्रेमचंद
पूर्व हिन्दी कहानी :-

सन् 1900 . से पूर्व कहानियों के नाम पर जो संग्रह प्राप्त होते है, वे निम्नलिखित है

राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द’ = वामा मनोरंजन (1886 .)
चण्डी प्रसाद सिंह = हास्य रत्न (1886 .)
किशोरी लाल गोस्वामी = प्रणयिनी परिणय (1887 .)
अंबिकादत्त व्यास = कथा-कुसुम कलिका (1888 .)
        
           सन् 1900 . के पश्चात हिन्दी कहानी :-
कहानीकार कहानी संग्रह
किशोरीलाल गोस्वामी इंदुमती (1900) गुलबहार (1900)
केशवप्रसाद सिंह चंद्रलोक की यात्रा (1900) आपत्तियों का पहाङ (1900)
माधव प्रसाद मिश्र पुरोहित का आत्म त्याग (1900) मन की चंचलता (1900)
लाला भगवानदीन प्लेग की चुडैल (1902 ई.)
रामचंद्र शुक्ल ग्यारह वर्ष का समय (1903 ई.)
गिरिजादत्त वाजपेयी पति का पवित्र प्रेम (1903 ई.) पंडित और पंडितानी (1903)
कार्तिक प्रसाद खत्री दामोदर राव की आत्मकहानी
सूर्यनारायण दीक्षित चन्द्रहास का अद्भुत आख्यान (1906)
वेंकटेश नारायण एक असरफी की आत्मकथा (1906)
बंग महिला दुलाई वाली (1907)
वृन्दावन लाल वर्मा राखीबंध भाई (1909) तातर और एक वीर राजपूत (1910)
राधिका रमण प्रसाद सिंह कानों में कंगना (1913) बिजली
विश्वम्भर नाथ शर्मा रक्षाबंधन (1913)

प्रेमचंदयुगीन हिन्दी कहानी :-

  • इस युग में कहानियों को जीवन की नयी समस्याओं से जोड़नेका प्रयास सर्वप्रथम कथा सम्राट प्रेमचंद ने ही किया। उपन्यास और कहानियाँ दोनों विधाओं में प्रेमचंद आदर्श और यथार्थ की ओर अग्रसर होते है। इसे उनकी पहली कहानी पंच परमेश्वर (1917) से आखिरी कहानी कफन’ (1936) तक देखा जा सकता है।
  • प्रेमचंद का मूल नाम नबावराय था। उर्दू में वे इसी नाम से लिखते थे।
  • नबावराय के प्रथम कहानी संग्रह सोजे वतन’ (1908) को ब्रिटिश सरकार ने जब्त कर लिया था। सोजे वतनपाँच कहानियों का संग्रह था जो उर्दू में लिखा गया था।
  • प्रेमचंद की प्रथम कहानी पंच परमेश्वर’ (1917) तथा अन्तिम कहानी कफन (1936) है।
  • प्रेमचंद ने 300 कहानियाँ लिखी जो मानसरोवरशीर्षक से आठ भागों में प्रकाशित हैं।

प्रेमचंद के प्रमुख कहानी-संग्रह :-

1. सप्त सरोज (1917)
2. नवनिधि (1917
3. प्रेम पूर्णिमा (1918)
4. प्रेम पच्चीसी (1923)
5. प्रेम प्रसून (1924)
6. प्रेम द्वादश (1926)
7. प्रेम प्रतिमा (1926)
8. प्रेम प्रतिज्ञा (1929)
9. प्रेम चतुर्थी (1929)
10. प्रेम कुंज (1930)
11. सप्त सुमन (1930)
12. कफ़न (1936)

प्रेमचंद की प्रमुख कहानियाँ :-

1. नमक का दरोगा (1916)
2. सज्जनता का दण्ड (1916)
3. ईश्वरीय न्याय (1917)
4. दुर्गा का मंदिर (1917)
5. बूढ़ी काकी (1920)
6. सवा सेर गेहूँ (1924)
7. शतरंज के खिलाङी (1924)
8. मुक्ति मार्ग (1924)
9. मुक्ति धन (1924
10. सौभाग्य के कोङे (1924)
11. अलग्योझा (1929)
12. पूस की रात (1930)
13. समर यात्रा (1930)
14. सद्गति (1930)
15. दो बैलों की कथा (1931)
16. होली का उपहार (1931)
17. ठाकुर का कुँआ (1932)
18. ईदगाह (1933)
19. बङे भाई साहब (1934)
20. कफ़न (1936)

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी

गुलेरी जी विश्व के उन चुनिंदा कहानीकारों में से है जिन्होंने केवल तीन कहानी लिखकर हिन्दी कहानीकारों में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया।

गुलेरी जी की प्रमुख कहानियाँ :-

  • सुखमय जीवन  1911  भारत मित्र में प्रकाशित
  • बुद्धू का कांटा  1914  –
  • उसने कहा था  1915 सरस्वती में प्रकाशित

उसने कहा थाकहानी गुलेरी जी की सर्वश्रेष्ठ कहानी है। यह कहानी पूर्वदीप्ति (फ्लैश बैक) शैली में लिखी गई है। 
उसने कहा थाप्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखी गई प्रेम-संवेदना की कहानी हैं।

जयशंकर प्रसाद

जयशंकर प्रसाद की प्रथम कहानी ग्राम1911 . में इन्दु पत्रिका में प्रकाशित हुई तथा अंतिम कहानी सालवतीको माना जाता है। 
प्रसाद का प्रथम कहानी संग्रह छाया’ (1912) तथा अंतिम कहानी संग्रह इंद्रजाल (1936) है।

प्रसाद के प्रमुख कहानी संग्रह :-
  • छाया (1912)
  • प्रतिध्वनि (1926)
  • आकाशदीप (1928)
  • आँधी (1931)
  • इन्द्रजाल (1936)

प्रसाद
की प्रमुख कहानियाँ :-


1. आग 
2. चन्दा
3. गुलाम
4. चित्तौङ उद्धार 
5. पत्थर की पुकार
6. उस पार का योगी
7. देवदासी
8. ममता
9. घीसू  
10. बिसात
11. सालवती
12. मधुआ
13. पुरस्कार
14. गुण्डा
15. छोटा जादूगर
16. स्वर्ग के खण्डर
17. हिमालय का पथिक
18. समुद्र सन्तरण

अन्य प्रमुख कहानीकार एवं कहानी संग्रह :-
कहानीकार कहानी संग्रह
वृन्दावनलाल वर्मा 1. शरणागत (1950), 2. कलाकार का दण्ड (1950)
राधिकारमण प्रसाद 1. कुसुमांजलि, 2. गाँधी टोपी (1938), 3. सावनी समाँ (1938) प्रमुख कहानी 1.कानों में कंगना (1913) 2. बिजली
चतुरसेन शास्त्री 1. रजकण 2. बाहर-भीतर 3. दुखवा मैं कासो कहूँ मोर सजनी 4. सोया हुआ शहर 5. कहानी खत्म हो गई 6. स्त्रियों का ओज 7. सिंहगढ़ विजय प्रमुख कहानियाँ – अंबपालिका, प्रबुद्ध, भिक्षुराज, हल्दी घाटी में, बाणवधु
विश्वंभरनाथ शर्मा 1. गल्प मंदिर (1919) 2. चित्रशाला (दो भागों में प्रथम -1924 द्वितीय 1929) 3. कल्लोल (1939) 4. प्रेम प्रतिमा 5. मणिमाला
राहुल सांकृत्यायन 1. सतमी के बच्चे (1935) 2. वोल्गा से गंगा (1944)
शिवपूजन सहाय 1. महिला महत्त्व (1922) 2. कहानी का प्लाट (1928)
पदुमलाल पुन्नालाल 1.अंजलि 2. झलमला(1934) 3. कनक रेखा (1961)
बद्रीनाथ भट्ट ’सुदर्शन’ 1.सुप्रभात (1923) 2.परिवर्तन (1926) 3. सुदर्शन सुधा (1926) 4.तीर्थयात्रा (1927) 5. सुदर्शन सुमन (1933) 6.पनघट (1939) 7. नगीने (1947) 8. झरोखे (1939) | प्रमुख कहानियाँ – हार की जीत, दो मित्र, कवि की स्त्री, पत्थरों का सौदागर, कमल की बेटी, तीर्थयात्रा आदि
चण्डी प्रसाद ’हृदयेश’ 1. नंदन निकुंज (1923) 2. वनमाला
भगवती प्रसाद वाजपेयी 1. मधुपर्क (1929) 2. दीपमालिका (1930) 3. पुष्पकारिणी (1936) 4. हिलोर (1938) 5. खाली बोतल 6. मेरे सपने 7. ज्वार भाटा (1940) 8. कला की दृष्टि (1942) 9. उपहार (1942) 10. अंगारे (1944) 11. उतार-चढ़ाव (1950)
बेचन शर्मा ’उग्र’ 1. चाकलेट (1924) 2. शैतान मण्डली (1924) 3. चिनगरियाँ (1925) 4. इन्द्रधनुष 5. घोङे की कहानी 6. बलात्कार (1927) 7. निर्लज्जा (1929) 8. दोजख की आग (1929) 9. क्रांतिकारी कहानियाँ (1939) 10. उग्र का हास्य (1939) 11. गल्पांजलि 12. रेशमी (1942) पंजाब की महारानी (1943) जब सारा आलम सोता है (1951)
चंद्रगुप्त विद्यालंकार 1. चंद्रकला (1929)
प्रमुख तथ्य
  • सुदर्शनकी कहानियों में सुधारवादी दृष्टिकोण और अंतर्द्वंद्वकी प्रधानता है।
  • पाण्डेय बेचन शर्मा’ ’उग्रकी कहानियों में अनाचार एवं कुरीतियों के प्रति आक्रोश दिखाई देता है।
  • नंददुलारे वाजपेयी ने उग्रको हिन्दी का प्रथम राजनीतिक कहानीकार माना है।
  • उग्रकी चिन्गारियाँ (1925) कहानी-संग्रह अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण ब्रिटिश सरकार द्वारा जब्त कर लिया गया था।
  • निराला की सखीकहानी 1925 . में चतुरी चमारके नाम से प्रकाशित हुई।


Post Navi