कहानी - 2

प्रेमचन्दोत्तर हिन्दी कहानी



प्रेमचंदयुग के अंतिम चरण के सर्वाधिक समर्थ कहानिकारों में जैनेन्द्र कुमार,इलाचन्द जोशीयशपालअज्ञेय और ’अश्क’ महत्त्वपूर्ण है।

  • जैनेन्द्र की कहानियों में चरित्र वैशिष्ट्यमानसिक द्वन्द्वस्त्री-पुरुष के संबंधों को लेकर सूक्ष्म एवं गहन स्तरों का स्पर्श आदि का चित्रण मिलता है।
  • जैनेन्द्र ने कहानियों के माध्यम से पहली बार हिन्दी साहित्य में ’व्यक्ति’ को स्थान मिला।
  • जैनेन्द्र जी बाह्य जीवन-यथार्थ को महत्त्व नहीं देते।वे मन स्थिति में ही परिस्थिति को भी संश्लिष्ट मानते है।

प्रमुख कहानियाँ – 1. स्पर्धा, 2. पत्नी, 3. एक कैदी, 4. गदर के बाद, 5. बाहुबली, 6. तत्सम् 7. लाल सरोवर 8. जान्ह्वी

यशपाल (1903-1976 ई.)

यशपाल जी को मार्क्सवादी दृष्टिकोण से सामाजिक यथार्थ को प्रस्तुत करते हैं।

प्रमुख कहानी-संग्रह :-

1. पिंजरे की उङान (1939ई. 
2. ज्ञानदान (1943
3. अभिशप्त (1943
4. तर्क का तूफान (1944
5. भस्मावृत चिनगारी (1946
6. वो दुनिया (1948
7. फूलों का कुर्ता (1949 ई.) 
8. धर्मयुद्ध (1950 ई.) 
9. उत्तराधिकारी (1951
10. चित्र का शीर्षक (1951 ई.) 
11. उत्तमी की माँ (1955
12. तुमने क्यों कहा मैं सुन्दर हूँ (1954
13. सच बोलने की भूल (1962
14. खच्चर और आदमी (1965) 15. भूख के तीन दिन (1968 ई.) आदि।

प्रमुख कहानियाँ :-

(1) साग (2) मनु की लगाम (3) धर्मरक्षा (4) ज्ञानदान (5) प्रतिष्ठा का बोझ (6) दूसरी नाक आदि

इलाचन्द जोशी (1902-1982 ई.)

  • इलाचन्द जोशी जी कथा-साहित्य में मनोविश्लेषण की एक विशिष्ट धारा के प्रवर्तक के रूप में प्रसिद्ध है।
  • जोशी जी ने अपने कहानियों में दमित कामवासनातज्जनित मानसिक विकृतिएवं दमित काम-ग्रन्थि के आधार को स्पष्ट करते हुए व्यक्ति के मानसिक उन्नयन पर बल देते है।

जोशी जी की प्रमुख कहानी-संग्रह :-

1. धूपरेखा (1938 ई.) 2. दीवाली और होली (1942 ई.) 3. रोमांटिक छाया (1943) 4. आहुति (1945 ई.) 5. खण्डहर की आत्माएँ (1948 ई.) 6. डायरी के नीरस पृष्ठ (1951 ई.) 7. कंटीले फूल लजीले कांटे (1957 ई.) आदि।

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्साययन ’अज्ञेय’ (1911-1987 ई.)
  • अज्ञेय’ वैज्ञानिक यथार्थ में विश्वास करने के कारण विविध स्तरों पर व्यक्ति को देखते परखते है।
  • अज्ञेय’ ने बदलते हुए संदर्भों में नये नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को प्रतिष्ठित करने की चेष्टा की।
  • अज्ञेय’ की दृष्टि में नैतिक और सामाजिक मूल्यों का निर्णायक ’व्यक्ति’ ही है।

अज्ञेय के प्रमुख कहानी-संग्रह :
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1. विपथगा (1937) 2. परंपरा (1940) 3. अमरवल्लरी (1945) 4. कोठरी की बात (1945) 5. शरणार्थी (1948) 6. जयदोल (1951) 7. ये तेरे प्रतिरूप (1961)
प्रमुख कहानियाँ -1. होलीबोन की बत्तखें 2. मेजर चैधरी की वापसी 3. कडियाँ 4. अमरवल्लरी 5. मैना 6. सिगनेलर 7. रोज 

उपेन्द्रनाथ ’अश्क’ (1910-1996 ई.)

अश्क’ प्रारंभ से ही यथार्थवादी के कलाकार रहे है। उन्होने निम्न मध्यवर्ग के जीवन को अपना कथा-विषय बनाया।

प्रमुख कहानी-संग्रह –

1. पिंजरा (1944) 2. अंकुर (1945) 3. छीटें (1949) 4. बैंगन का पौधा (1954) 5. सत्तर श्रेष्ठ कहानियाँ 6. पलंग (1961) 7. आकाशचारी (1966)

प्रमुख कहानियाँ –

1. अंकुर 2. नासूर 3. डाची 4. पिंजरा 5. गोखरू आदि।

अन्य प्रमुख कहानीकार एवं कहानी-संग्रह :-

विष्णु प्रभाकर 
1. आदि और अंत (1945) 2. रहमान का बेटा (1947) 3. जिन्दगी के थपेङें (1952) 4. धरती अब भी घूम रही है (1970) 5. साँचे और कला (1962) 6. पुल टूटने से पहले (1977) 7. मेरा वतन (1980) 8. खिलौने (1981) 9. एक और कुुंती (1985) 10. जिन्दगी एक रिहर्सल (1981) 11. आसमान के नीचे (1989) 12. कफ्र्यू और आदमी (1994) 13. आखिर क्यों (1998) 14. मैं नारी हूँ (2001) 15. जीवन का एक और नाम (2002) 16. ईश्वर का चेहरा (2003)

अमृतलाल नागर 
1. एक दिन हजार अफसाने (1986)

अमृतराय         
1. जीवन के पहलू (1947) 2. शतिरंगे कफ़न (1948) 3. इतिहास

रांगेय राघव                            
1. साम्राज्य का वैभव (1947) 2. समुद्र के फेन (1947) 3. देवदासी (1947) 4. जीवन के दाने (1949) 5. अधूरी मूरत (1949) 6. अंगारे  बुझे (1951) 7. इंसान पैदा हुआ (1951)

समकालीन कहानी (नयी कहानी)

  • सन् 1960 ई. से ’नयी कहानियाँ’ नामक पत्रिका श्री भैरवप्रसाद गुप्त के संपादकत्व में दिल्ली से प्रकाशित होने लगी।
  • नयी कहानी’ को प्रतिष्ठित करने का श्रेय मोहन राकेशराजेन्द्र यादवकमलेश्वर को है
  • नामवर सिंह ने ’परिन्दे’ को हिन्दी की पहली नयी कहानी माना हैं
  • नयी कहानी’ की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

1. जटिल यथार्थ की व्यापक स्वीकृति  
2. आधुनिकता बोध
3. व्यक्ति की प्रतिष्ठा                            
4. मध्यवर्गीय जीवन चेतना
5. छिछली भावुकता का अभाव     
6. सांकेतिकता।

समकालीन कहानीकार एवं कहानी-संग्रह:-

भीष्म साहनी (1915-2003)

  • भीष्म साहनी प्रगतिशील जीवन दृष्टि के लिए प्रख्यात हैं
  • सत्ता और व्यवस्था के खोखलेपन को साहनी जी ने सहजता और निर्भीकता से उधेङा है।
  • वे यथार्थ के कुरूप चेहरे के भीतर निहित मानवीय मूल्यों के सौन्दर्य को रेखांकित करने में दक्ष है।
  • प्रमुख कहानियाँ – 1. चीफ की दावत, 2. अमृतसर  गया, 3. त्रास, 4.  हरामजादे 5. वाङ्चू

मुक्तिबोध(1917-1964)

कविताओं की भाँति अपनी कहानियों में भी मुक्तिबोध ने फंतासी शिल्प का प्रयोग किया है। 
प्रमुख कहानियाँ :1. नयी जिन्दगी 2. काठ का सपना 3. जलना 4. पक्षी और दीमक 5. विपात्र 6. क्लाड ईथरली आदि।

क्लाॅड ईथरली’ कहानी में मुक्तिबोध ने अणु युद्ध का विरोध करने वाली आत्मा की आवाज को प्रस्तुत किया है और पूरी कहानी को अवचेतन के अंधेरे तहखाने में पङी हुई आत्मा के विद्रोह की कहानी बना दिया है।

भैरव प्रसाद गुप्त (1918-1995 ई.)

गुप्त जी के संपादकत्व में ’कहानी नव वर्षांक-1956’ प्रकाशित हुआ था।
गुप्त जी मार्क्सवादी जीवन दृष्टि के प्रतिबद्ध लेखक है। उन्होंने अपनी कहानियों में समाज के दुर्बल और शोषित वर्ग की समस्याओं का चित्रण किया है।

प्रमुख कहानी-संग्रह
1. मुहब्बत की राहें (1945) 2. फरिश्ता (1946) 3. बिगङे हुए दिमाग (1948) 4. इंसान (1950) 5. सितार के तार (1951) 6. बलिदान की कहानियाँ (1951) 7. मंजिल (1951) 8. महफिल (1958) 9. सपने का अंत (1961) 10. आँखों का सवाल (1965) 11. मंगली की टिकुली (1982) 12. आप क्या कर रहे हैं (1983)

हरिशंकर परसाई (1924-1995 ई.)

(1) हँसते है रोते है (2) जैसे उनके दिन फिरे (3) भोलाराम का जीव

अमरकांत (1925-2013 ई.)

अमरकांत मुख्य रूप से निम्न मध्यवर्ग के जीवन संदर्भों से अपनी कहानियों की सामग्री ली है।

मुख कहानियाँप्र – 1. जिन्दगी और जोंक 2. दोपहर का भोजन 3. डिप्टी कल्क्टरी 4. लोक परलोक

मोहन राकेश (1925-1972 ई.)

मोहन राकेश ’नयी कहानी’ के प्रवर्तकों में से एक है।

मोहन राकेश ने संबंधी की यंत्रणामहानगरीय जीवन की यांत्रिकता और उसके दबाव से व्यक्ति के अकेले पङते जाने की मानसिकता का चित्रणव्यवस्था के खोखलेपन पर प्रहार और विभाजन की त्रासदी का चित्रण किया है।

प्रमुख कहानियाँ – मलबे का मालिकआद्र्रामिस पालसेफ्टी पिन

राजेन्द्र यादव (1929-2013 ई.)

राजेन्द्र यादव ’नयी कहानी’ के प्रवर्तकों में है।
राजेन्द्र यादव ने अपनी कहानियों में मध्यवर्ग के जीवन में बनते बिगङते जुङते-टूटते रिश्तों और उनसे उत्पन्न तनाव को महत्त्व दिया हैं।

प्रमुख कहानियाँ – अपने पारअनुपस्थिति संबोधनमेहमान

कमलेश्वर (1932-2007)

कमलेश्वर ’नयी कहानी’ के पुरोधाओं में से एक है।
1972 ई. कमलेश्वर ने ’समांतर कहानी’ आन्दोलन चलाया।

प्रमुख कहानियाँ- 1. राजा निरबसिया 2. खोई हुई दिशाएँ 3. मांस का दरिया 4. जार्ज पंचम की नाक 5. अपना एकांत 6. मानसरोवर के हंस 7. इतने अच्छे दिन 8. नीली झील 9. एक अश्लील कहानी 10. देवी की माँ

'नयी कहानी’ के व्रती लेखकों-मोहन राकेशराजेन्द्र यादवकमलेश्वर में कमलेश्वर ही ऐसे है
जिन्होने सामाजिक विसंगतियोंटूटते हुए जीवन-मूल्योंबढ़ते हुए भ्रष्टाचार और व्यक्ति के अमानवीकरण को 
वाणी देने का निरंतर प्रयत्न किया है।

धर्मवीर भारती (1926-1997)

धर्मवीर भारती आधुनिकता बोध के सूत्रों से बौद्धिक स्तर पर बखूबी परिचित हैकिन्तु संवेदना के स्तर पर रोमानी संस्कारों से मुक्त नहीं हो सकें।उनकी कहानियों में निम्नमध्यवर्गीय जीवन की मानसिकता का अच्छा
चित्रण मिलता हैै।

कहानी-संग्रह –
1. मुर्दो का गांव (1946) 2. स्वर्ग और पृथ्वी (1949) 3. चाँद और टूटे हुए लोग (1955) 4. बंद गली का आखिरी मकान (1969)

प्रमुख कहानियाँ – 1. गुलकी बन्नो 2. सावित्री नं.-2

लक्ष्मीनारायण लाल (1927-1987)

इनकी कहानियाँ में अवध के गाँवपक्षीपशुपेङनदियाँखेत-खलिहानत्यौहारगीत आदि भी सजीव 
होकर साकार हो गये है।

कहानी संग्रह –
1. सूने आँगन रस बरसै (1960) 2. नये स्वर नये रेखाएँ (1962) 3. एक बूँद जल (1964) 4. एक और कहानी (1964) 5. डाकू आये थे (1974)

निर्मल वर्मा (1929-2005)

निर्मल वर्मा के पहले कहानी संग्रह ’परिन्दे’ (1960 ई.) को डाॅ. नामवर सिंह ने ’नयी कहानी
की पहली कृति माना है।

परिन्दे’ संग्रह की समीक्षा करते हुए नामवर सिंह ने कहा था –’’स्वतंत्रता या मुक्ति का प्रश्नजो समकालीन
विश्व का मुख्य प्रश्न बन चला हैनिर्मल वर्मा की कहानियों में अलग-अलग कोण से उठाया गया है।’’

फणीश्वर नाथ रेणु (1921-1977)

रेणु ’नयी कहानी’ के दौर में ग्राम-अंचल की विशिष्टताजी और जीवंत अनुभूति लेकर आने वाले 
रचनाकारों में अन्यतम रहे है।

प्रमुख कहानी – 1. तीसरी कलम उर्फ मारे गये गुलफाम, 2. रसप्रिया, 3. ठुमरी, 4. अग्निखोर, 5. आदिम रात्रि की महक आदि

शिवप्रसाद सिंह (1929-1998)

1. आर पार की माला (1955) 2. कर्मनाशा की हार (1958) 3. इन्हें भी इंतजार है (1961) 4. मुर्दा सराय (1966) 5. अंधेरा हँसता है (1975) 6. भेङिया (1977)

कृष्ण बलदेव वैद (1927)

1. बीच का दरवाजा (1963) 2. मेरा दुश्मन (1966) 3. दूसरे किनारे से (1970) 4. लापता (1974) 5. उसका बयान (1974) 6. वह और मैं (1978) 7. लीला और अन्य कहानियाँ (1993 ई.) 8. पिता की परछाईयाँ (1997) 9. बदचलन बीबीयों का द्वीप (2000) (10) बोधिसत्व की बीबी (2002)

प्रमुख कहानियों –1. अगर मैं आज 2. उङान 3. जामुन की गुठली 4. एक बदसूरत गली 5. टुकङे 
6. खामोशी 7. भाई की महिमा 8. एक था विमल 9. कुतुबमीनार छोटा सा 10. शैडोज आदि।

मार्कण्डेय (1932-2010)

1. पान फूल (1954 ई.) 2. पत्थर और परछाइयाँ (1956) 3. महुए का पेङ (1957) 4. हंसा जाई अकेला (1957 ई.) 5. भूदान (1958) 6. माही (1962) 7. बीच के लोग (1975 ई.)

रघुवीर सहाय (1929-1990)

1. सीढ़ियों पर धूप में (1960) 2. रास्ता इधर से है (1972) 3. जो आदमी हम बना रहे है (1982 ई.)

प्रमुख कहानियाँ- 1. सेब, 2. मेरे और नंगी औरत के बीच, 3. मुठभेङ, 4. तीन मिनट

गंगा प्रसाद विमल (1939 ई.)

गंगा प्रसाद विमल ’अ-कहानी’ आन्दोलन के पुरस्कारों माने जाते है।

कहानी संग्रह –
1. विध्वंस (1965
2. शहर में (1966
3. बीच की दरार (1968
4. अतीत में कुछ (1972
5. कोई शुरूआत (1973
6. खोई हुई थाती (1995)

रमेश बक्षी (1936-1992 ई.)

1. मेज पर टिकी हुई कुहनियाँ (1963
2. एक अमूर्त तकलीफ (1968 ई.) 
3. तलघर (1969 ई.) 
4. सजा (1970
5. पिता दर पिता (1971
6. शवासन (1980
7. रक्तचाप (1983
8. खाली जेब (1988
9. टुकङे-टुकङे (1988)

रवीन्द्र कालिया (1938-2016)

1. नौ साल छोटी पत्नी (1969) 2. काला रजिस्टर (1972) 3. गरीबी हटाओ (1976) 4. गली कुचे (1976) 5. चकैया नीम (1979) 6. बाँके लाल (1982) 7. राग मिलावट मालकौष (1985) 8. सत्ताइस साल की उमर तक (1987) 9. जरा सी रोशनी (2002)

शैलेष मटियानी (1931-2001)

1. दो दुखों का एक सुख (1961) 2. सुहागिनी तथा अन्य कहानियाँ (1966) 3. हारा हुआ (1970) 4. तीसरा सुख (1972) 5. महाभोज (1975) 6. चील (1976) 7. कोहरा (1980) 8. अहिंसा (1987) 9. नाच जमूरे नाच (1989) 10. नदी किनारे का गाँव (1992)

रामदरश मिश्र (1924 ई.)

1. खाली घर (1969 ई.) 2. एक वह (1974) 3. दिनचर्या (1979) 4. सर्पदंश (1982) 5. बसंत का एक दिन (1982) 6. अपने लिए (1992) 7. आज का दिन भी (1996) 8. एक कहानी लगातार (1997) 9. फिर कब आयेंगे (1998) 10. विदूषक (2002 ई.) 11. स्वप्न भंग (2013 ई.)

शेखर जोशी (1932 ई.)

1. कोसी का घटवार (1958) 2. साथ के लोग (1978) 3. हलवाहा (1981) 4. मेरा पहाङ (1989) 5. नौरंगी बीमार है (1990) 6. डाँगरी वाले (1994) 7. बच्चे का सपना (2004) 8. आदमी का डर (2011)

प्रमुख कहानियाँ – दाज्यू (1953 पहली कहानी)कोसी का घटवार (1958), समर्पण (1961), मृत्यु (1961), दौङ (1965), रास्ते (1965), बदबूसाथ के लोग (1967आदि।

हिमांशु जोशी (1935 ई.)

1. अन्ततः (1965) 2. रथचक्र (1975) 3. मनुष्य चिह्न (1976) 4. जलते हुए डैने (1980) 5. सागर तट के शहर (2005)

काशीनाथ सिंह (1936 ई.-2017 ई.)

1. लोग बिस्तरों पर (1968) 2. सुबह पर डर (1975) 3. आदमीनामा (1978) 4. नयी तारीख (1979) 5. कल की फटेहाल कहानियाँ (1980) 6. सदी का सबसे बङा आदमी (1986) 7. कविता की नई तारीख (2010) 8. खरोंच (2014)

दूधनाथ सिंह (1936 ई.)

1. सपाट चेहरे वाला आदमी (1967 ई.) 2. सुखांत (1971) 3. पहला कदम (1976) 4. माई का शोक गीत (1992) 5. नमो अंधकारः (1998) 6. धर्मक्षेत्रे करूक्षेत्रे (2002) 7. निष्कासन (2002) 8. तू फू (2011) 9. जलमुर्गियों का शिकार (2015)

प्रमुख कहानियाँ – 1. विजेता, 2. कबन्ध 3. रीछ 4. सुखान्त 5. प्रतिशोध आदि।

ज्ञानरंजन (1937 ई.)

1. फेंस के इधर उधर (1968) 2. यात्रा (1971) 3. क्षण जीवी (1977) 4. सपना नहीं (1977)

जगदीश चतुर्वेदी (1933-2015)

1. जीवन का संघर्ष (1954) 2. निहंग (1973) 3. अंधेरे का आदमी (1980) 4. विवर्त (1981) 5. डेलिया का फूल (1995) 6. आदिम गन्ध (1995)

गिरिराज किशोर (1937 ई.)

1. चार मोती बेआब (1963) 2. नीम के फूल (1964) 3. पेपरवेट (1967) 4. रिश्ता और अन्य कहानियाँ (1969) 5. शहर दर शहर (1976) 6. हम प्यार कर लें (1980) 7. जगत्तारनी और अन्य कहानियाँ (1981) 8. गाना बङे गुलाम अली खाँ (1985) 9. वल्दरोजी (1989) 10. यह देह किसी है (1990) 11. आन्दे्र की प्रेमिका तथा अन्य कहानियाँ (1995) 12. हमारे मालिक सबके मालिक (2003) 13. दुश्मन और दुश्मन (2010)

रमेशचन्द्र शाह (1937 ई.)

1. जंगल में आग (1979) 2. मुहल्ले का रावण (1982) 3. मानपत्र (1992) 4. थियेटर (1998)

गोविन्द मिश्र (1939 ई.)

1. नये पुराने माँ बाप (1973) 2. अन्तःपुर (1976) 3. रगङ खाती आत्माएं (1978) 4. धाँसू (1978) 5. अपाहिज (1980) 6. खुद के खिलाफ (1981) 7. खाक इतिहास (1984) 8. पगला बाबा (1987) 9. आसमान कितना नीला (1992) 10. हवाबाज (1998) 11. मुझे बाहर निकालो (2004) 12. नये सिरे से (2013 ई.)

महीप सिंह (1930-2015 .)

1. सुबह के फूल (1959 ई.) 2. उजाले के उल्लू (1964) 3. घिराव (1968) 4. कुछ और कितना (1973 ई.) 5. कितने संबंध (1979) 6. दिल्ली कहाँ है (1985) 7. धूप की उँगलियों के निशान (1992) 8. सहमे हुए (1998) 9. ऐसा ही है (2002)

महीप सिंह ’सचेतन कहानी’ आन्दोलन के पुरस्कर्ता के रूप में ख्यात है।
महीप सिंह की कहानियाँ तीन खण्डों में पहला ’सुबह की महक’ दूसरा ’क्षणों का संकट’ तीसरा ’सुबह का सन्नाटा (2000में प्रकाशित किया गया है।



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