अमीर खुसरो
- जन्मकाल- 1255 ई. (1312 वि.)
- मृत्युकाल - 1324 ई. (1381 वि.)
- जन्मस्थान - गांव- पटियाली,जिला-एटा
- मूलनाम- अबुल हसन
- उपाधि- खुसरो सुखन ( यह उपाधि मात्र 12 वर्ष की अल्प आयु में बुजर्ग विद्वान ख्वाजा इजुद्दीन द्वारा प्रदान की गई थी)
- उपनाम- १ तुर्क-ए-अल्लाह, २ तोता-ए-हिन्द ( हिंदुस्तान की तूती)
- गुरु का नाम- निजामुद्दीन ओलिया
- प्रमुख रचनाएं:-
- खालिकबारी
- पहेलियां
- मुकरियाँ
- ग़जल
- दो सुखने
- नुहसिपहर
- नजरान-ए-हिन्द
- हालात-ए-कन्हैया
विशेष तथ्य-
- इनकी खालिकबारी रचना एक शब्दकोश है यह रचना गयासुद्दीन तुगलक के पुत्र को भाषा ज्ञान देने के उद्देश्य से लिखी गई थी|
- इनकी 'नूहसिपहर' है रचना में भारतीय बोलियों के संबंध में विस्तार से वर्णन किया गया है|
- इनको हिंदू-मुस्लिम समन्वित संस्कृति का प्रथम प्रतिनिधि कवि माना जाता है|
- यह खड़ी बोली हिंदी के प्रथम कवि माने जाते हैं|
- खुसरो की हिंदी रचनाओं का प्रथम संकलन 'जवाहरे खुसरवी' नाम से सन 1918 ईस्वी में मौलाना रशीद अहमद सलाम ने अलीगढ़ से प्रकाशित करवाया था|
- इसी प्रकार का द्वितीय संकलन 1922 ईसवी में 'ब्रजरत्नदास' में नागरी प्रचारिणी सभा काशी के माध्यम से 'खुसरो की हिंदी कविता' नाम से करवाया|
- रामकुमार वर्मा ने इनको 'अवधी' का प्रथम कवि कहा है|
- यह अपनी पहेलियों की रचना के कारण सर्वाधिक प्रसिद्ध हुए हैं|
- इन्होंने गयासुद्दीन बलबन से लेकर अलाउद्दीन और कुतुबुद्दीन मुबारक शाह तक कई पठान बादशाहों का जमाना देखा था|
- यह आदि काल में मनोरंजन पूर्ण साहित्य लिखने वाले प्रमुख कवि माने जाते हैं|
- इनका प्रसिद्ध कथन-" मैं हिंदुस्तान की तूती हूं, अगर तुम भारत के बारे में वास्तव में कुछ पूछना चाहते हो तो मुझसे पूछो"
खुसरो की पहेलियां:-
" एक
थाल मोती से भरा | सबके
सिर पर औंधा धरा ||
चारों
और वह थाली फिरे | मोती
उससे एक ना गिरे ||" {आकाश}
" एक
नार ने अचरज किया | सांप
मारी पिंजडे़ में दिया||
जों
जों सांप ताल को खाए | सूखे
ताल सांप मर जाए|| { दिया-बत्ती}
" अरथ तो इसका बूझेगा | मुँह देखो तो सुझेगा ||"
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