केदारनाथ सिंह
केदारनाथ सिंह
- जन्म- 07 जुलाई 1934चकिया गाँव, बलिया जिला, उत्तर प्रदेश, भारत
- मृत्यु-19 मार्च 2018 (उम्र 83)नयी दिल्ली, भारत
- व्यवसाय-हिन्दी के प्रतिनिधि कवि
- राष्ट्रीयता-भारतीय
- उल्लेखनीय सम्मान-साहित्य अकादमी पुरस्कार (1989)
- ज्ञानपीठ पुरस्कार (2013)
जीवन परिचय:-
केदारनाथ सिंह का जन्म 7जुलाई 1934 ई॰ को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गाँव में हुआ था। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से 1956 ई॰ में हिन्दी में एम॰ए॰ और 1964 में पी-एच॰ डी॰ की उपाधि प्राप्त की। उनका निधन 19 मार्च 2018 को दिल्ली में उपचार के दौरान हुआ। कुछ वक़्त गोरखपुर में हिंदी के प्रध्यापक रहे।इनकी सात पुत्र और चार पुत्रियां भी थी उन्होंने जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र में बतौर आचार्य और अध्यक्ष काम किया था।
योगदान :-
केदारनाथ सिंह की प्रमुख काव्य कृतियां ‘जमीन पक रही है',
‘यहां से देखो’, ‘उत्तर कबीर’, ‘टालस्टॉय और साइकिल’ और ‘बाघ’ हैं। उनकी प्रमुख गद्य कृतियां ‘कल्पना और छायावाद’, ‘आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान’ और ‘मेरे समय के शब्द’ हैं।
मुख्य कृतियाँ
कविता संग्रह:-
- अभी बिल्कुल अभी (1960)
- जमीन पक रही है[5](1980)
- यहाँ से देखो[6](1983)
- बाघ[5](1996),(पुस्तक के रूप में)
- अकाल में सारस[5](1988)
- उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ[6](1995)
- तालस्ताय और साइकिल[6](2005)
- सृष्टि पर पहरा (2014)
आलोचना:-
- कल्पना और छायावाद
- आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान
- मेरे समय के शब्द
- मेरे साक्षात्कार
संपादन:-
- ताना-बाना (आधुनिक भारतीय कविता से एक चयन)
- समकालीन रूसी कविताएँ
- कविता दशक
- साखी (अनियतकालिक पत्रिका)
- शब्द (अनियतकालिक पत्रिका)
पुरस्कार :-
1989 में उनकी कृति ‘अकाल में सारस’ को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।
इसके अलावा उन्हें व्यास सम्मान, मध्य प्रदेश का मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, उत्तर प्रदेश का भारत-भारती सम्मान, बिहार का दिनकर सम्मान तथा केरल का कुमार आशान सम्मान मिला था।
वर्ष 2013 में उन्हें प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह हिन्दी के 10वें साहित्यकार थे।
Social Plugin