क्रम |
रचनाकार |
छायावादोत्तर युगीन रचना |
1. |
रामधारी सिंह 'दिनकर' |
हुंकार, रेणुका, द्वंद्वगीत, कुरुक्षेत्र, इतिहास के आँसू, रश्मिरथी, धूप
और धुआँ, दिल्ली, रसवंती, उर्वशी।
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2. |
बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' |
कुंकुम, उर्मिला, अपलक, रश्मिरेखा, क्वासि, हम विषपायी जनम के। |
3. |
हरिवंशराय बच्चन' |
मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, सूत की माला, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत,
सतरंगिनी, मिलन-यामिनी, आरती और अंगारे, आकुल-अंतर।
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4. |
सुमित्रा नंदन पंत |
शिल्पी, अतिमा, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, सत्यकाम। |
5. |
जानकी वल्लभ शास्त्री |
मेघगीत, अवंतिका। |
6. |
नरेंद्र शर्मा |
प्रभातफेरी, प्रवासी के गीत, पलाश वन, मिट्टी और फूल, कदलीवन। |
7. |
रामेश्वर शुक्ल 'अंचल' |
मधूलिका, अपराजिता, किरणबेला, लाल चूनर । |
8. |
आरसी प्रसाद सिंह |
कलापी, पांचजन्य। |
9. |
केदारनाथ सिंह |
नींद के बादल, फूल नहीं रंग बोलते हैं, अपूर्व, युग की गंगा । |
10. |
नागार्जुन |
प्यासी पथराई आँखें, युगधारा, भस्मांकुर, सतरंगे पंखों वाली, रत्नगर्भ,
हरिजन गाथा (क.)।
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11. |
रांगेय राघव |
राह का दीपक, अजेय खंडहर, पिघलते पत्थर, मेधावी, पांचाली। |
12. |
गिरिजाकुमार माथुर |
मंजीर, कल्पांतर, शिलापंख चमकीले, नाश और निर्माण, मशीन का पुर्जा, धूप के
धान, मैं वक्त के हूँ सामने, छाया मत छूना मन ।
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13. |
गजानन माधव 'मुक्तिबोध' |
भूरी भूरी खाक धूल, चाँद का मुँह टेढ़ा है। |
14. |
भवानीप्रसाद मिश्र |
सतपुड़ा के जंगल, गीतफरोश, खुशबू के शिलालेख, बुनी हुई रस्सी, कालजयी,
गांधी पंचशती, कमल के फूल, इदं न मम, चकित हैं दुःख, वाणी की दीनता।
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15. |
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' |
भग्नदूत, चिंता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्रधनुष रौदे
हुए ये, अरी ओ करुणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी
बार, क्योंकि मैं उसे जानता है, सागर-मुद्रा, पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ,
महावृक्ष के नीचे, नदी की बौंक पर छाया, प्रिजन डेज एंड अदर पोएम्स
(अंग्रेजी में), असाध्य वीणा, रूपाम्बरा।
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16. |
धर्मवीर भारती |
अंधायुग, कनुप्रिया, ठंडा लोहा, सात गीत वर्ष |
17. |
शमशेर बहादुर सिंह |
अमन का राग, चूका भी नहीं हूँ मैं, इतने पास अपने। |
18. |
कुंवर नारायण |
परिवेश, हम तुम, चक्रव्यूह, आत्मजयी, आमने-सामने। |
19. |
नरेश मेहता |
संशय की एक रात, वनपाखी सुनो, मेरा समर्पित एकांत, बोलने दो चीड़ को।
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20. |
त्रिलोचन |
मिट्टी की बारात, धरती, गुलाव और बुलबुल, दिगंत, ताप के ताये हुए दिन, सात
शब्द, उसजनपद का कवि हूँ।
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21. |
भारत भूषण अग्रवाल |
कागज के फूल, जागते रहो, मुक्तिमार्ग, ओ अप्रस्तुत मन, उतना वह सूरज है।
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22. |
दुष्यंत कुमार |
साये में धूप, सूर्य का स्वागत, एक कंठ विषपायी, आवाज के घंटे। |
23. |
प्रभाकर माचवे |
जहाँ शब्द हैं, तेल की पकौड़ियाँ, स्वप्नभंग, अनुक्षण, मेपल। |
24. |
रघुवीर सहाय |
सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, लोग भूल गए हैं, मेरा
प्रतिनिधि, हँसो हँसो जल्दी हँसो।
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25. |
शंभूनाथ सिंह |
मन्वंतर, खण्डित सेतु। |
26. |
शिवमंगल सिंह 'सुमन' |
हिल्लोल, जीवन के गान, प्रलय-सृजन, विश्वास बढ़ता ही गया । |
27. |
शकुंतला माथुर |
अभी और कुछ इनका, चाँदनी और चूनर, दोपहरी, सुनसान गाड़ी। |
28. |
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना |
खूटियों पर टंगे लोग, कुआनो नदी, बाँस के पुल, काठ की घंटियाँ, एक सूनी
नाव, गर्म हवाएँ, जंगल का दर्द।
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29. |
विजयदेव नारायण साही |
मछलीघर, संवाद तुम से साखी। |
30. |
जगदीश गुप्त |
नाव के पाँव, शब्दशः, हिमबिद्ध, युग्म। |
31. |
हरिनारायण व्यास |
मृग और तृष्णा, एक नशीला चाँद, उठे बादल झुके बादल, त्रिकोण पर सूर्योदय।
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32. |
श्रीकांत वर्मा |
मायादर्पण, मगध, शब्दों की शताब्दी, दीनारंभ। |
33. |
राजकमल चौधरी |
कंकावती, मुक्तिप्रसंग। |
34. |
अशोक वाजपेयी |
एक पतंग अनंत में, शहर अब भी संभावना है। |
35. |
बालस्वरूप राही |
जो नितांत मेरी है। |
36. |
'धूमिल' |
संसद से सड़क तक, कल सुनना मुझे, सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र |
37. |
अजित कुमार |
अंकित होने दो, अकेले कंठ की पुकार। |
38. |
रामदरश मिश्र |
पक गई है धूप, वैरंग बेनाम चिट्ठियाँ । |
39. |
डॉ० विनय |
एक पुरुष और, कई अंतराल, दूसरा राग। |
40. |
जगदीश चतुर्वेदी |
इतिहास हंता । |
41. |
प्रमोद कौसवाल |
अपनी तरह का आदमी। |
42. |
संजीव मिश्र |
कुछ शब्द जैसे मेज। |
43. |
'निराला' |
कुकुरमुत्ता, गर्म पकौड़ी, प्रेम-संगीत, रानी और कानी खजोहरा, मास्को
डायलाग्स, स्फटिक शिला, नये पत्ते, गीत गुंज, सांध्य काकली(प्रकाशन
मरणोपरांत-1969 ई०)।
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44. |
उदयप्रकाश |
सुनो कारीगर, क से कबूतर। |
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